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Sahara india news : शाशन ने हटाई सहारा की जमीन बेचने पर रोक, निवेशकों में दिखा गुस्सा

Sahara India Latest News 2023 : सहारा सेबी केस के कारण सहारा इंडिया परिवार अगर अपनी कोई भी संपत्ति को अगर बेचता है तो उसका पैसा सहारा सेबी खाते में जाकर जमा हो जाता है वही सहारा समूह ने आज से कुछ बर्ष पहले हरिद्वार दिल्ली बॉर्डर के नजदीक एक प्रॉपर्टी खरीदी थी जिसको पहले Sahara India Real Estate (SIRECL) द्वारा आधारित किया गया था जिसके बाद सन 2010 में जब सहारा इंडिया ने अपनी खुदकी Housing Cooperative Socities (H.C.S) शुरू की तो यह प्रॉपर्टी उस कोआपरेटिव सोसाइटी के आधीन अधिग्रस्त हो गई। 

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Delhi - Haridwar बॉर्डर पर sahara की यह property पर पिछले काफी लंबे अर्शे से प्रॉपर्टी की खरीद अवं बेच पर रोक कायम थी जिसको अब अचानक प्रशाशन ने हटा दिया है परंतु शाशन के इस नतीजे से निवेशक (investors)_इत्तेफाक नहीं रखते है वही निवेशकों को यह बात रास नहीं आई। सहारा इंडिया में अपनी जीवन की गाढ़ी कमाई फसाकर बैठे सहारा के जमाकर्ताओं ने बताया की प्रशाशन ने एक दम से सहारा की प्रॉपर्टी पर रोक क्यों हटाई जबकि हरिद्वार के काफी निवशकों का पैसा सहारा इंडिया की सहकारिता सोसाइटी में निवेश है जिसके आधीन यह जामीन आती है वही इस जमीन को बेचकर निवेशकों को उनका पैसा दिलाने में प्रशाशन बिलकुल भी निवेशकों की मदद करने राजी नहीं है परंतु सहारा को बचने के हर संभव प्रयास किये जा रहे है।  

Sahara Sebi Case के मुताबिक माननिये Supreme Court Of India ने सहारा समूह को अपनी कोई भी जमीन गेंर तरीके से बेचने पर साफ़ इंकार किया है वही यह फैसला इसलिए किया था ताकि निवेशकों को उनकी जमा पूंजी संपूर्ण ब्याज के साथ लौटाई जा सके परंतु आज तक सहारा सेबी रिफंड खाते में पड़े 25000 करोड़ से केवल 189 करोड़ तक के भुगतान ही सकी है वही इसी फंड में से करीब 5,000 करोड़ की राशि सहारा के चार Cooperative में फसे निवेशकों के लिए रखी गई है वही उस मामले में भी करीब 2.5 महीना होने को आया परंतु आज भी सरकार गहरी नींद में सोई हुई है।    

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सहारा इंडिया की जमीन खरीद एवं बेचना पर रोक क्यों है ?

हरिद्वार - दिल्ली के सटे बहादराबाद में सहारा समूह ने करीब 87 एकड़ भूमि खरीदी थी जिसमे में से करीब 140 बीघा जामीन पर कंस्ट्रक्शन का काम पेंडिंग पड़ा हुआ था जिसको लेकर प्राइवेट कॉन्ट्रैक्टर सतीश त्यागी ने शाशन का दवाजा खटखटाया था वही यह मांग की थी की जमीन पर से रोक हटाई जाए जिसके बाद अब यह रोक हटाई गई है परंतु निवेशकों को आज तक प्रशाशन भुटी कोड़ी नहीं दिला सका है और प्राइवेट कॉन्ट्रैक्टर के एक इशारे पर फैसला हो जाता है जिससे यह साफ़ जाहिर होता है की कीमत पैसे की होती है गरीबो की नहीं। 

आने वाले लोकसभा चुनावो में क्या करेगा सहारा निवेशक ?

सहारा इंडिया परिवार की सहकारिता कंपनियों के माध्यम से निवेशकों ने अपनी सबसे ज्यादा राशि सहारा इंडिया की 4  कोऑपरेटिव सोसाइटी में जमा की थी। हालांकि, पिछले काफी लंबे दर्जे से यह कोऑपरेटिव सोसायटी निवेशकों का भुगतान नहीं दे रही है जिसमें सरकार ने आगे आकर माननीय उच्चतम न्यायालय से 5 हजार करोड़ की राशि जारी करने की मांग की थी जिसको सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर भी कर दिया है परंतु 2.5 महीना होने को आया न तो सहकारिता मंत्रालय का कोई अता - पता  है और न ही इन कोआपरेटिव सोसाइटी का अब देखना है की निवेशकों को कब तक उनका पैसा बापस मिल सकेगा  परंतु निवेशकों ने साफ़ जाहिर कर दिया है की अगर सहारा का भुगतान नहीं तो मोदी सरकार को मतदान नहीं। 

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