sahara india news : अगर सहारा इंडिया परिवार के निवेशक को सेबी यानी की भारतीय प्रतिभूति एवं बिनिमय बोर्ड निवेशकों को भुगतान दे रही है तो यह निवेशक कौन है जो सड़को पर उतारकर प्रदर्शन सहित अपने मेहनत के पैसा की माँग कर रहा है। असल में यह निवेशक कौन है, उस निवेशक के साथ खड़ा एजेंट जो अपने आप को अब सहारा से अलग करार दे रहा है वह कौन है। अगर पैसा मिल रहा है तो देश में क्यों सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय सहित परबैंकिंग अधिकारी ओपी श्रीवास्तव के खिलाफ एफआईआर हो रही है।
जानकारी के अनुसार सेबी ने नया सर्कुलर जारी कर कहा की हम सहारा इंडिया हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कारपोरेशन लिमिटेड सहित सहारा इंडिया रियल स्टेट के निवेशकों के भुगतान लगातार कर रहे है। जानकारी है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार सहारा इंडिया को सहारा सेबी रिफंड खाते में पैसा जमाने का आदेश दिया गया था। जिसके तहत सेबी भुगतान कर रहा है। सेबी की तरफ से लगातार दावा किया जा रहा है कि सहारा इंडिया का निवेशक नहीं मिल रहा है। परंतु देश में जो आंदोलन चल रहे हैं उनका क्या। क्या वह सहारा इंडिया का निवेशक नहीं है वहीं मामला बड़ा ही संगीन है। जहां पर सहारा ने पहले ही चतुराई दिखाते हुए कार्य कर दिया था जिसका खामियाजा आज सहारा इंडिया परिवार के निवेशक और एजेंट को भुगतना पड़ रहा है।
जानकारी के अनुसार खबर मिली है कि सहारा इंडिया परिवार जब सुप्रीम कोर्ट में मौजूद था और मुश्किलों का सामना कर रहा था। तो सहारा इंडिया ने सहारा इंडिया की यह दो कंपनियों SHICL और SIRECL के सभी राशि को परिवर्तित करते हुए सहारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी, हमारा इंडिया क्रेडिट कोआपरेटिव सोसाइटी सहित अन्य क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी और सहारा क्यू शॉप में पैसा निवेश करा दिया था। वहीं अब लोगों को इन स्कीमों का भुगतान नहीं मिल रहा है और ना ही लोग अपना पैसा परिवर्तित कराना चाह रहे हैं। ऐसे में लोगों का पैसा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी और क्यू शॉप में है। इसीलिए सेबी को भी उन दो कंपनी के निवेशक नहीं मिल रहे है क्योकि लोगो का पैसा तो इन फर्म में जमा है।
आंदोलन करने वाले निवेशक वही है जिनका पैसा क्रेडिट को ऑपरेटिव सोसाइटी और क्यू शॉप में फंसा है। यानी कि मामला साफ है आज भी सहारा इंडिया के कई निवेशकों का भुगतान सहारा में पेंडिंग है वही सहारा इंडिया लगातार निवेशकों का भुगतान नहीं दे रहा है तभी तो देश में इतनी एफआईआर दर्ज हो रही है। न्यायपालिका सहित राजनीतिक पार्टी को लग रहा है कि लोगों को भुगतान मिलने लगा है परंतु लोगों को आज भी भुगतान नहीं मिल रहा है।
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