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sahara india policy refund : यह भी पढ़े : सहारा में फसा निवेशकों का पैसा कैसे दीपावली मनाएगा सहारा निवेशक

sahara india policy refund : सहारा में फसा निवेशकों का पैसा, कैसे दीपावली बनाएगा सहारा निवेशक
डेस्क रिपोर्ट, भोपाल : बड़े बड़े त्यौहार आने वाले हैं फेस्टिव सीजन का ऑफर शुरू हो चुका है वही सहारा इंडिया के निवेशक की जेब आज भी खाली है। चाहे सहारा इंडिया का आम जमाकर्ता हो या फिर सहारा इंडिया से पीड़ित एजेंट हो। दोनों की ही जेब खाली बनी हुई है और यह जेब करीब 2016 से निरंतर खाली है। क्योंकि सहारा भुगतान नहीं दे रहा है और सरकार एवं न्यायपालिका लोगों को समय और समय दे रही है। वही सहारा समूह कितना और समय देगा यह देखने वाली बात है। 


जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश के भोपाल, उज्जैन, मुरैना चंबल, शिवपुरी, गुना, ग्वालियर सहित अन्य इलाकों में लोगों का करोड़ों करोड़ रुपया सहारा समूह की इकाइयों में फंसा हुआ है। सहारा इंडिया के मैनेजरओं के खिलाफ थानों में लगातार एफआईआर दर्ज हुई है, होती रही है और होती रहेगी परंतु सत्ता में बैठी शिवराज मामा जी की सरकार लोगों को नजरअंदाज कर रही है। शिवराज मामा न्याय दिलाने की बात करते हैं परंतु उनके प्रदेश की पुलिस न्याय दिलाने में सक्षम नहीं देखी गई है। नरोत्तम मिश्रा जो कि मध्य प्रदेश के गृहमंत्री हैं वह खुद के क्षेत्र का भुगतान करा लेते हैं परंतु बाकी के मध्य प्रदेश के लोगो का भुगतान आज भी अभिलंब है। 

यह भी पढ़े : सहारा इंडिया की क्रेडिट सोसाइटी में फसा निवेशकों का पैसा, संसद में उठेगा मुद्दा   

सत्ताधारी कब दिलाएंगे लोगों का पैसा
मध्य प्रदेश में सहारा इंडिया परिवार की क्रेडिट सोसाइटी में लोगों का सर्वाधिक पैसा फसा हुआ है। जबकि कंप्लेंट को लेकर कई बार लोगों ने भोपाल में इस बात को लेकर कंप्लेंट की है। लोगों का कहना है कि हमने यहां तक कंप्लेंट की है कि आप लोग हमारा मुद्दा लोकसभा तक ले जाएं परंतु कोई भी नेता सहारा इंडिया के ऊपर बोलने को भी राजी नहीं है जिसका सीधा उद्देश्य यह है कि लोगों का पैसा नेताओं का कुछ भी नहीं बिगड़ता है। 

आर्थिक अपराध ने की थी छापेमार कार्रवाई
मध्यप्रदेश में सहारा इंडिया के ऑफिसों में एक बार आर्थिक अपराध शाखा (EOW)  का छापा भी पढ़ चुका है परंतु ED सहित सीबीआई के पास सहारा इंडिया के निवेशक ने सहारा इंडिया को लेकर काफी कंप्लेंट की है परंतु आज तक कोई भी कार्यवाही नहीं हुई है। इसका मतलब यह है कि जब सरकार चाहती है तभी ईओडब्ल्यू और आदि सरकारी एजेंसी अपना काम करने लगती हैं वहीं लोगों से और उनकी कंप्लेंट से इन सरकारी एजेंसियों का भी कोई लेना देना नहीं है। 

अपने बच्चों को कपड़े दिलाने में आ सक्षम है निवेशक
दिवाली आ रही है हर कोई शॉपिंग करना चाहता है परंतु सहारा इंडिया के निवेशक और खास तौर पर एजेंट की जेब में अपने बच्चों तक को कपड़े दिलाने तक के पैसे नहीं है। यह सहारा इंडिया की असली कहानी है की जो मैनेजर आज भी सहारा इंडिया के लिए दिल पर हाथ रख सहारा प्रणाम कर रहे हैं उनको सहारा टोकन मनी दे रही है और जिन निवेशकों से सुब्रत रॉय कहीं सहारा बने थे। उनको केवल समय दिया जा रहा है जो संस्था का औचित्य दिखाती है। 

मध्य प्रदेश से बाहर हो सहारा
मध्य प्रदेश सरकार जल्द ऐसी चिटफंड संस्था को प्रदेश से बाहर निकालने का काम करें क्योंकि ऐसी संस्थान ही ज्यादातर न केवल प्रदेश को हानि पहुंचाती है बल्कि लोगों पर भी इसका गलत असर पड़ता है। लोगों की भारी भारी रकम यह सरकारी लाइसेंस सहित अन्य दस्तावेजों के कारण फसा लेती है। ऐसा ही सहारा में हुआ था सरकारी लाइसेंस के कारण लोगों ने पैसा जमा किया था जिम्मेदारी सरकार की है परंतु सरकार अपनी जिम्मेदारियों से भाग रही है और जब निवेशक कोर्ट जाता है तो न्याय की जगह केवल समय मिलता है। 

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