sahara india latest news : सहारा इंडिया मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी समेत कई कोऑपरेटिव सोसाइटी के माध्यम से सहारा इंडिया परिवार के निवेशकों की रकम सहारा इंडिया में फंसी हुई है। जो अब मिलने का नाम नहीं ले रही है जिसके कारण सहारा निवेशक सड़कों पर है।वही सहारा निवेशक सरकार तक अपनी बात को पहुंचाने के लिए ट्वीट कर रहा है सोशल मीडिया पर लड़ाई लड़ रहा है एवं सड़कों पर प्रदर्शन कर रहा है वही निवेशकों की पीड़ा लगातार सहकारिता मंत्रालय के पास पहुंच रही है। दीवाली 2022 के पहले सहारा निवेशकों के पक्ष में मोदी का कैबिनेट का एक बड़ा फैसला आया है।
चिटफंड से लड़ाई लड़ रहे सहकारिता पीड़ित निवेशकों की आवाज मोदी सरकार तक पहुंच गई है। मोदी सरकार ने कल कैबिनेट की बैठक की थी जिसके बाद में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के मंत्री अनुराग ठाकुर समेत कई सहकारी समिति के लोगों के साथ में सूचना प्रसारण मंत्रालय की लाइव मीटिंग हुई थी। लाइव मीटिंग में अनुराग ठाकुर ने क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटीज पर बोलते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी सहित कैबिनेट ने फैसला किया है कि जल्द क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी में पारदर्शिता लाने की तैयारी शुरू की जाएगी वही आज आपको संपूर्ण जानकारी मिलेगी न्यूज़ दुनिया की हिंदी न्यूज़ वेबसाइट में जो आपको सहारा इंडिया की सभी बड़ी बड़ी खबरों से अवगत कराती है। तो इस पोस्ट को अपने पीड़ित साथियो तक पहुंचाना न भूले।
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क्यों लाया जा रहा बहु राज्य सहकारी समिति संशोधन विधेयक
- बहु राज्य सहकारी समितियों को शासन के अधीन लाने हेतु
- सहकारी चुनाव प्राधिकरण सहित सहकारी सूचना अधिकारी और सहकारी लोकपाल की स्थापना हेतु
- व्यापार करने में आसानी और सुधार हेतु
- लोगों को न्याय दिलाने हेतु इस विधेयक को लाया जा रहा है
- विधेयक में धन जुटाने सहित बोर्ड की संरचना में सुधार हेतु
- वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित करने हेतु
- डेपोसिटोर को न्याय दिलाने हेतु
नए संशोधित बिल में क्या
ज्यादातर लोगों का यही सवाल है कि अगर मोदी सरकार इस बिल को लाने वाली है तो इसके पीछे मोदी सरकार की क्या रणनीति है। क्यों इस बिल को लाया जा रहा है तो इसका उत्तर पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार ने बड़े ही आसान शब्दों में दिया है। शरद पवार ने कहा कि 15 नवंबर 2010 को लोकसभा के अंदर बहु राज्य सहकारी समितियों बिधेयक पेश किया गया था। कानून के तहत सभी केंद्र सहकारी समितियों को केंद्रीय रजिस्ट्रार नियुक्ति दे सकता है।
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शरद पवार ने कहा कि एक बहु राज्य सहकारी समिति को पंजीकृत करना हो या फिर राज्यों के सदस्यों की हितों की कोई सेवा हो। इन सभी में एक मौलिक सिद्धांत के रूप में सहकारी सिद्धांतों को आर्थिक तरीके से बेहतरीन प्रदान करने के लिए इस विधेयक को लाया जाना चाहिए।
शरद पवार ने कहा कि 2010 के विधायक में केंद्रीय रजिस्ट्रार की ओर से भी कहा गया था कि बहु राज्य समितियों को बीमार घोषित करने की अनुमति दी जाए। जिसके तहत केंद्र सरकार रजिस्ट्रार की सिफारिश पर अधिकतम 5 साल के लिए अंतरिम बोर्ड भी नियुक्त कर सकता है। बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय रजिस्ट्रार को 5 साल के भीतर सहकारी समिति के व्यवहार घोषित करने और निर्देशक मंडल को बहाल करने की शक्ति देने हेतु इस विधेयक को लाया जाना चाहिए।
भारत में मौजूद है इतनी कोऑपरेटिव सोसायटी
अगर बात भारत की करें तो उसके हिसाब से सरकारी आंकड़ों पर एक नजर डालें तो लगभग करीब 8,55,000 सहकारी समितियां भारत में मौजूद है। जिसके तहत 1,77,000 क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी मौजूद है। वही सात लाख से अधिक सहकारी समितियां है 17 राष्ट्रीय स्तर की सहकारी संघ है और 33 राज्य सहकारी बैंक है वही सक्रिय प्राथमिक कृषि ऋण(pacs) समिति के तहत करीब 12 करोड़ से अधिक सदस्य इन 63,000 पीएसीएस के साथ जुड़े हुए हैं। यानी कि लगभग 91% सहकारी समिति गांव में भी मौजूद है।
सरकार को थी चिंता
सरकार ने कहा कि एक प्रमुख चिंता पारदर्शिता में कमी की है क्योंकि बात निर्देशक मंडल की करें तो वित्त व प्रशासन का नियंत्रण था. इसके साथ ही केंद्रीय रजिस्ट्रार विशेष परिस्थितियों में सोसाइटी का निरीक्षण कर सकता है। अगर बात पोंज़ी योजनाओं की जाए तो पोंज़ी योजनाओं में ऐसा संभव नहीं था परंतु अब पोंजी योजनाओं में भी लगातार पारदर्शिता लाई जाएगी।
सहारा इंडिया परिवार के काफी निवेशक क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटीज में पैसा फसाये हुए हैं क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटीज के माध्यम से लोगों का भारी पैसा सहारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी, सहारा मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी समेत हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी में फंसा हुआ है। सहारा निवेशक लगातार कह रहा है कि मेरी पॉलिसी सरेंडर कर मुझको मेरा भुगतान वापस मिल जाए। तो क्या ऐसा मुमकिन हो सकेगा। तो इसका उत्तर तो अभी सरकार द्वारा नहीं दिया गया है परंतु सहकारिता अगर सुधार रहा है तो यह निवेशकों के हित में है। वही लोगों से धोखाधड़ी न हो इसके लिए ही यह बिधेयक को लाया जा रहा है।
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