sahara india latest news : न्याय संस्था की अवहेलना करने के लिए सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय (subrat roy) को कई बार घिरते हुए देखा है परंतु सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन पर इतने मुकदमे कायम हो चुके हैं परंतु गिरफ्तारी नहीं हो रही है। सहारा प्रमुख की क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी से कोई रिश्ता ना होने की खबर भी आई थी परंतु सहाराश्री ने एक पत्र जारी किया है जिसके माध्यम से उन्होंने एजेंटों को क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटीज में बिजनेस करने के लिए कहा है। जबकि सोचने की बात तो यह है कि क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटीज पर सहकारिता मंत्रालय ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद रोक लगा रखी है परंतु फिर भी सहाराश्री कैसे लोगों को बिजनेस करने की बात कर रहे हैं।
आइए समझते हैं पूरा मसला
दरअसल सहारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी चलाती है। जिनका नाम है सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड जिसका लाइसेंस सहारा को लखनऊ, उत्तर प्रदेश से प्राप्त है। वहीं दूसरी कोऑपरेटिव सोसाइटीज का नाम सहारा इंडिया यूनिवर्सल मल्टीपरपज कोऑपरेटिव सोसायटी है जिसका लाइसेंस भोपाल मध्य प्रदेश से है जिसके बाद तीसरे नंबर पर हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी आती है जिसका लाइसेंस कोलकाता से प्राप्त है वहीं तीनों क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी पर सहकारिता मंत्रालय ने पूर्ण तरीके से रोक लगाते हुए नया व्यवसाय करने पर रोक कायम कर राखी है फिर कैसे सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय सहारा एजेंट्स को नया बिजनिस करने के लिए कह रहे है।

ऊपर दिए गए आदेश में आप पढ़ सकते हैं कि कैसे सहकारिता मंत्रालय ने सहारा की इन क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी पर रोक लगाई है फिर भी सहारा इंडिया परिवार अपने एजेंटों को इन क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी में बिजनेस करने की बात कर रहा है। जानकारी के मुताबिक सहारा इंडिया से एक पत्र जारी हुआ है। जहां पर सुब्रत रॉय सहारा ने एजेंटों को दिवाली ऑफर देते हुए दिसंबर महीने में बिजनेस करने की बात की है। वह भी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी में। सुब्रत रॉय ने एजेंटों को बड़ा लाभ देते हुए कहा है कि अगर एजेंट व्यवसाय अच्छा करेगा तो उसको बोनस इत्यादि ज्यादा मिलेगा।
अब कहां गया सिद्धार्थनगर कोर्ट वाला मामला
सहारा इंडिया परिवार के मालिक सुब्रत रॉय सहारा उनकी धर्मपत्नी स्वप्ना रॉय सहारा और पैरा बैंकिंग अधिकारी ओ पी श्रीवास्तव को सिद्धार्थनगर कोर्ट ने आदेशित किया था कि वह सहारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के मसले को पूर्ण तरीके से बहाल करें। जहां पर सहारा प्रमुख ने साफ़ तरीके से यह कहा था कि सहारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी से मेरा कोई भी नाता नहीं है। सहारा प्रबंधन ने भी कह दिया था कि सुब्रत रॉय क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी में डायरेक्टर नहीं है परंतु अब कैसे सुब्रत रॉय क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी में बिजनेस करने की बात कर रहे हैं जबकि वह डायरेक्टर नहीं है और न ही उनका कोई रिश्ता इस बिजनिस से है यानी कि मसला और कुछ है। कोर्ट के सामने बात कुछ और की जाती है और असल में बात कुछ और निकलती है। फसा है तो सहारा इंडिया परिवार का निवेशक जिसकी भारी धनराशि इन क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी में बंद है।
अब क्या हाईकोर्ट से भी बड़े हैं सुब्रत रॉय
सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय सहारा अब शायद कोर्ट से भी बड़े हो गए हैं जहां पर दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद में सहकारिता मंत्रालय ने उनको कोई भी नया बिजनेस कराने से रोका है परंतु फिर भी शेर के मुंह में हाथ डालने के तहत सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय एजेंटों को फंसाते हुए क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी में लोगों की राशि निवेश करवाने की बात कर रहे हैं। जबकि वह जानते नहीं है या अनजान बन रहे है कि उनके ऊपर देश में कितनी f.i.r. इस क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटीज के कारण ही हुई है क्योंकि लोगों की पूरी धनराशि को पलटते हुए सहारा प्रमुख ने पूरी धनराशि क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी में जमा करा दी थी। आज लोगों का पैसा सहारा इंडिया रियल एस्टेट और सहारा इंडिया हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड में ना होते हुए क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी में फंसा हुआ है और देश का आधा मीडिया और न्यायपालिका सिर्फ उन दो कंपनी में फंसा हुआ है।
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