डेस्क रिपोर्ट, सहारा इंडिया : अपने एजेंट्स को भुगतान न देकर पीड़ा में फ़साने वाली कंपनी सहारा इंडिया अब एक नई चाल लाई है। सहारा इंडिया अब अपनी समझदारी दिखा रही है। सहारा इंडिया परिवार पहले रियल एस्टेट समेत परबैंकिंग में अधिक धंधा करती थी वही सहारा इंडिया की सक्सेस के पीछे कही न कही सहारा इंडिया के निवेशक और एजेंट्स की काफी बड़ी भूमिका है परन्तु आज सहारा समूह यह कही भूल चूका है तभी तो आम शोषित एजेंट को आज भुगतान न देकर सहारा इंडिया ने मानो खुद के पैरो पर खुल्हाडी पटक ली हो। जानकरी के अनुसार अब सहारा इंडिया में कोई भी निवेशक पैसा जमा करना सेफ नहीं समझ रहा है जिसका परिणाम है की सहारा ने निवेशकों के लिए काम करना ही बंद कर दिया है।
अब निवेशकों के लिए कोई स्कीम नहीं
सहारा इंडिया में जमा निवेशकों के पैसा आज मिल नहीं पा रहे है जिसको लेकर अब सरकार भी सहारा इंडिया जैसी प्राइवेट कंपनी में पैसा न जमा करने की नसीयत दे रही है वही सहारा समूह काफी लम्बे दर्जे से निवेशकों के लिए कोई भी नई स्कीम लेकर नहीं आया है क्योकि अब सहारा इंडिया भी कही न कही यह समझ चूका है की हमारती लूट की दुकान में अब कोई भी निवेशक फसने वाला नहीं है।
NI पर रोक के वाद बिजनिस हुआ जीरो
सहारा इंडिया को अपने निवेशकों को भुगतान देना इतना महंगा पड़ गया किस की क्रेडिट सोसाइटी की शिकायत लोगों ने सेंट्रल रजिस्टार में कर दी थी वही सेंट्रल रजिस्टर इस फरमान को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा था। जहां पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सहारा समूह को अपराधी पाते हुए सहारा समूह के क्रेडिट सोसायटीओं की एनआई पर ही रोक लगा दी। इसके बाद सहारा समूह कोई भी नया निवेश नहीं ले पा रहा है। हालांकि, सहारा समूह द्वारा लगातार लीगल टीम के जरिए प्रयास रहा है कि जल्द से जल्द NI पर से रोक हट जाए परंतु लोगों ने लाखों लाख शिकायतें भेजकर कोर्ट को भी यह बता दिया है कि अब निवेशक कितना परेशान है वही आने वाली 3 अगस्त को देखना है कि दिल्ली हाईकोर्ट अपना क्या फैसला सुनाता है।
व्यापारियों को चूना लगाने की तैयारी
सहारा इंडिया एक नई स्कीम लेकर आई है। जहां पर विंड्स ऐप के जरिए खुदरा व्यापारी समेत अन्य लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए इस स्कीम को मार्केट में लाया गया है वही अब कोई भी निवेशक तो सहारा इंडिया में अपना पैसा जमा नहीं कर रहा है तो सहारा ने सोचा है कि वह क्यों न खुदरा ब्यापारी को ही फसा ले जिसके बाद अब नई योजना का परिवेश किया गया है वही यह सोच भी कही न कही फ़ैल दिखाई दे रही है।
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