न्यूज़ रिपोर्ट,राजनंदगांव : अलग-अलग स्कीमों के माध्यम से सहारा इंडिया की अलग-अलग स्कीमों में फंसे निवेशकों के पैसे पर अब भूपेश बघेल सरकार चिटफंड संस्थाओं के खिलाफ कड़े एक्शन में दिखाई दे रही है। इसके साथ ही आज से कुछ दिन पहले सहारा इंडिया की सहयोगी कंपनी सहारा यूनिवर्सल कोऑपरेटिव सोसायटी के खिलाफ भूपेश बघेल की सरकार ने कार्यवाही करते हुए उसके चार डायरेक्टरों को गिरफ्तार कराई। वही इन सभी डायरेक्टरों की पेशी राजनंदगांव कोर्ट में हुई जहां पर राजनंदगांव के कोर्ट ने 15 करोड के भुगतान का शपथ पत्र लेकर इन आरोपियों को छोड़ दिया है।
कोर्ट कैसे कर सकता है इतनी बड़ी गलती
सहारा इंडिया के निवेशकों का कहना है कि सहारा इंडिया के मामले में एक कोर्ट ही हमारा सहारा है वही कोर्ट भी आजकल ऐसी कार्रवाई कर रहा है जिसमें ना तो निवेशकों का पक्ष रखा जा रहा है ना ही निवेशकों की परेशानी वही देश का न्यायपालिका भी सहारा इंडिया जैसी अमीर कंपनी के हाथों में झूलता नजर आ रहा है वही बिना भुगतान लिए बिना इन चारों आरोपी डायरेक्टरों को कैसे छोड़ दिया गया। यह बात न्यायपालिका पर एक प्रश्न जनक सवाल व्यक्त करती है कि कैसे न्यायपालिका एक अमीर ब्यक्ति को इस तरीके से बिना निवेशकों का भुगतान कराये बिना छोड़ सकती हैं।
सहारा समय आया आगे
लोकतंत्र के चौथे स्तंभ माने जाने वाले पत्रकार आजकल सहारा की तरफ ज्यादा दिखाई पड़ रहे हैं वही अगर बात सहारा समय की जाए तो वह कोई इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नहीं बल्कि सहारा का एक दलाल पार्टनर है जो कि सहारा इंडिया की डीलिंग करवाने में मदद करता है जहां पर सहारा इंडिया की सहयोगी कंपनी के डायरेक्टरों की गिरफ्तारी के बाद सहारा समय के मध्य प्रदेश मीडिया हेड सहारा समूह के इन डायरेक्टरों को बचाने में लग गए वहीं जब इन अपराधियों को राजनंदगांव कोर्ट के सामने ले जाया गया वहां भी यह मीडिया के और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ माने जाने वाले यह मीडिया हेड मौजूद रहे इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि देश का सहारा समय का मीडिया आज भी सहारा यूनिवर्सल सोसाइटी के आगे अपनी पिपुडी बजा रहा है।
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सहारा इंडिया का सोसाइटी से नहीं कोई वास्ता
सहारा इंडिया के चैयरमेन सुब्रत रॉय सहारा सहित उनका पत्नी स्वप्ना रॉय समेत सहारा ग्रुप के पैराबैंकिंग अधिकारी ओपी श्रीवास्तव यह चुके है की "सहारा इंडिया की सोसाइटी में फसे निवेशकों के पैसे से सुब्रत रॉय या ओपी श्रीवास्तव का कोई लेना देना नहीं वही अगर निवेशकों का पैसा फसा है तो उसमे हम कुछ नहीं कर सकते है " यह सभी चीजे कहने के बाद भी सहारा इंडिया के चैयरमेन सुब्रत रॉय ने कैसे और किस बल बुते पर सहारा इंडिया की सोसाइटी के निर्देशकों को छत्तीसगढ़ पुलिस से रिहा करने पर सहारा समय को शाबाशी दी वैसे तो सुब्रत रॉय कह चुके है की सोसाइटी से उनका कोई बास्ता नहीं है परंतु सुब्रत रॉय ने जब भी यह पत्र जारी किया और सहारा समय मीडिया हेड को शुभकामनाये दी इसका मतलब साफ़ है की कोर्ट को ही बुद्धि देने का प्रयास चल रहा है वही इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट को एक शाक्त कार्यबाही करनी चाहिए।
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